उन्हें कमरे में बुलाओ... सीजेआई ने साध्वियों से खुद बात की, तब रोकी ईशा फांउडेशन पर कार्रवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन मामले को अपने हाथ में ले लिया है। यह केस मद्रास हाई कोर्ट में चल रहा था। ईशा फाउंडेशन पर दो महिलाओं को कथित तौर पर अवैध रूप से बंधक बनाकर रखने के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट मे इस मामले की पुलिस जांच पर ल

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन मामले को अपने हाथ में ले लिया है। यह केस मद्रास हाई कोर्ट में चल रहा था। ईशा फाउंडेशन पर दो महिलाओं को कथित तौर पर अवैध रूप से बंधक बनाकर रखने के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट मे इस मामले की पुलिस जांच पर लगा दी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद दोनों साध्वियों से बात की।

सीजेआई ने दोनों महिलाओं से की बात

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस केस की सुनवाई की। अदालत ने दोनों महिलाओं से वर्चुअली बातचीत की। बातचीत के बाद पीठ ने कहा कि दोनों महिलाओं का दावा है कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अदालत ने दोनों व्यक्तियों से बातचीत की है। बातचीत के दौरान, दोनों कहा कि वे 24 और 27 साल की उम्र में आश्रम में शामिल हुए थे।

पहले भी परिवार ने दायर की ऐसी याचिका

पीठ ने कहा कि दोनों महिलाओं ने कहा है कि वे आश्रम से बाहर जाने के लिए स्वतंत्र हैं और उन्होंने समय-समय पर ऐसा किया है और उनके माता-पिता भी उनसे मिलने के लिए वहां आते रहे हैं। इसने कहा कि दोनों व्यक्तियों में से एक ने बताया है कि उन्होंने हैदराबाद में आयोजित मैराथन में भी भाग लिया था। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि उसके समक्ष यह प्रस्तुत किया गया था कि दोनों व्यक्तियों की मां ने लगभग आठ वर्ष पहले ऐसी ही याचिका दायर की थी, जिसमें पिता भी शामिल हुए थे।

'अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में हैं'

कोर्ट ने कहा, ‘सुनवाई के दौरान हमारा विचार था कि इस अदालत के लिए दोनों संबंधित महिलाओं से बातचीत करना उचित होगा और ऐसा हमने कमरे में ऑनलाइन सुनवाई के दौरान किया है।’ पीठ को बताया गया कि दोनों महिलाएं वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में मौजूद थीं। पीठ ने खुली अदालत में एक महिला से संक्षिप्त बातचीत की और पूछा, ‘क्या आप इस तथ्य से अवगत हैं कि आपके पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है?’ महिला ने जवाब दिया, ‘हां। हम इसी मामले में हाई कोर्ट में उपस्थित हुए थे और हमने बताया था कि हम अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में हैं।’

बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करे, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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